सुप्रीम कोर्ट ने कहा अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही
अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज फैसला सुनाते हुए कहा ‘अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान’ है। सुप्रीम कोर्ट में कुल 22 याचिकाएं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ़ दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि ‘राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का अधिकार है। (सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) डी. वाई चंद्रचूड़ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।)
चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति के पास विधानसभा भंग होने पर, राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि देश पहले से ही ‘एक देश एक अधिकार’ पर कायम है। जम्मू-कश्मीर पर अब राष्ट्रपति का आदेश बना रहेगा।
जस्टिस संजय किशन कौल ने भी अपने फैसले में कहा कि CJI द्वारा दिया गया फैसला और मेरा फैसले का निष्कर्ष लगभग समान हैं। उन्होंने कहा “पूर्व में हुए विद्रोह के कारण आबादी के एक बड़े हिस्से का पलायन हुआ और स्थिति ऐसी थी कि सेना बुलानी पड़ी और देश को खतरों का सामना करना पड़ा था लेकिन अब भविष्य को हमें देखना है।”
सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों को किया गया खारिज
याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा “ राष्ट्रपति अपनी भूमिका के तहत राज्य सरकार की शक्ति का प्रयोग कर सकता है। उन्होंने कहा कि संसद या राष्ट्रपति उद्घोषणा के तहत किसी राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के फैसले पर भी अपनी मुहर लगा दी है।
4 साल 4 महीने और 6 दिन बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले ‘अनुच्छेद 370 हटाओ’ को सही बताते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर मुहर लगा दी है। कोर्ट में कहा गया कि 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उचित नहीं है और अनुच्छेद 370 को हटाने में कोई दुर्भावना नहीं है। केंद्र सरकार ने यह विधेयक केवल भारत के एकीकरण को ध्यान में रखते हुए पारित किया, ताकि जम्मू-कश्मीर राज्य को भी सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया हो सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव करने के दिए निर्देश
चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ ने निर्वाचन आयोग को आदेश देते हुए कहा ‘हम निर्देश देते हैं कि सही कदम उठाए जाएं ताकि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर की विधान सभा में चुनाव हों और राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए’। ताकि संपूर्ण भारत को मिलने वाली सभी सुविधाओं को भी अब यहाँ जल्द ही लागू किया जाए।
जम्मू-कश्मीर राज्य में ख़ुशी की लहर
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने पर ख़ुशी का माहौल नज़र आया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर लोगों ने और केंद्र सरकार के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का आभार जताया।
हालांकि, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा’ निराश हूं लेकिन हताश नहीं हूं, संघर्ष जारी रहेगा। बीजेपी को दशकों लग गए यहां तक पहुंचने में, हम भी लंबी दौड़ के लिए तैयार हैं।
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