Aditya L1ISRO: Aditya L1 Enter in Halo Orbit

‘Aditya L1’ आज करेगा हेलो’ ऑर्बिट में प्रवेश

इसरो के लिए आज का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण है, भारत का पहला सौर मिशन, आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान आज शाम करीब चार बजे के आसपास अपनी अंतिम कक्षा L1 में प्रवेश करेगा, जहां से वह अगले पांच वर्षों तक सूर्य का अवलोकन करेगा।

Aditya L1

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन ‘Aditya L1’ यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर उसकी अंतिम गंतव्य कक्षा एल-1 प्वाइंट में स्थापित करने की पूरी तैयारी कर ली है। आदित्य-एल1 की यात्रा 2 सितंबर, 2023 को PSLV-C57 पर लॉन्च के साथ शुरू हुई थी। 

अंतरिक्ष यान को L1 यानि लैग्रेंज 1 बिंदु के चारों ओर एक कक्षा में प्रवेश करना है, जो पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के पांच स्थानों में से एक है जहां दोनों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव एक दूसरे को लगभग निरस्त कर देते हैं।

‘Aditya L1’ का डिज़ाइन

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सात अत्याधुनिक पेलोड से लैस, आदित्य-एल1 विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग करके सूर्य की बाहरी परतों की गतिशीलता का पता लगाएगा। इन उपकरणों में विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX), प्लाज़्मा एनालाइज़र पैकेज फॉर आदित्य (PAPA), हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) और ऑनबोर्ड मैग्नेटोमीटर (MAG) शामिल हैं।

क्या है L1 (लैंग्रेज 1) प्वाइंट

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इसरो ने बताया कि “एल1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।  लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा। यह अन्य ग्रह पिंडों के चारों ओर की कक्षा की तरह नहीं है। कक्षा के तीन आयाम होते हैं जबकि किसी ग्रह के चारों ओर की अन्य कक्षाएँ दो आयामी होती हैं – भूमध्य रेखा या ध्रुवीय। 

तकनीकी रूप से लैग्रेंज बिंदु पर, दो बड़े पिंडों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव एक छोटी वस्तु को उनके साथ गति करने के लिए आवश्यक सेंट्रिपेटल बल के बराबर होता है। दो-निकाय गुरुत्वाकर्षण प्रणालियों के लिए, कुल पांच लैग्रेंज बिंदु हैं, जिन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 के रूप में दर्शाया गया है।

‘हेलो’ ऑर्बिट से होगा सूर्य का अध्ययन

इसरो की मानें तो ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर ‘हेलो’ कक्षा में उपग्रह के चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और शेष तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु एल1 पर कणों और क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे।” इस बिंदु से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने कहा कि अवलोकन से प्राप्त आंकड़ों से वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा और इससे न केवल भारत को लाभ होगा, बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय को सौर गतिशीलता की समझ में भी योगदान मिलेगा।

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‘Aditya L1’ मिशन का मुख्य उद्देश्य

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आदित्य L1 द्वारा इस मिशन का मुख्य उद्देश्य कोरोनल हीटिंग, सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं और कणों के प्रसार के अध्ययन की समस्याओं को समझना है। Aditya L1 की सफलता से पूरी दुनिया को सूर्य के रहस्य के बारे में पता चल जाएगा।

‘Aditya L1’ का सफ़र

2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) द्वारा आदित्य L1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित गया था। उन्होंने बताया कि 1 घंटा 3 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान अवधि के बाद, अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर 235 x 19,500 किमी की अण्डाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इस प्रकार अंतरिक्ष यान विभिन्न चरणों से गुजरते हुए ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (L 1) की ओर बढ़ा। सूर्य के अध्ययन के लिए पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए ‘Aditya L1’ मिशन की शुरुआत की गई।

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आज के इस लेख में आपको Aditya L1: ISRO आज फिर लहराएगा परचम, सूरज का अध्ययन करने ‘हेलो’ ऑर्बिट में प्रवेश करेगा के बारे में जानकारी दी गई है। उम्मीद है आपको Aditya L1 से जुड़ी यह जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार जनों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर ज़रूर शेयर करें। Trending Khbar से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद।

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