Success story of founder BikanervalaBikanervala की सफलता की कहानी

Success Story of Bikanervala (संस्थापक बीकानेरवाला की सफलता की कहानी)

Success story of founder Bikanervala : भारत में ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने बीकानेरी भुजिया का स्वाद न चखा हों। उत्तर भारत में एक ब्रांड बीकानेरवाला से हर कोई परिचित है, भुजिया (नमकीन), मिठाई, चाट और विभिन्न प्रकार अन्य पकवानों के साथ बीकानेरवाला ने आम लोगों के बीच अपनी एक खास जगह बनायीं। क्या आप जानते हैं कि बीकानेरवाला सिर्फ एक नमकीन बनाने की कंपनी नहीं हैं बल्कि ये एक ऐसा ब्रांड है जिसके आउटलेट्स बड़े-बड़े मॉल में देखने को मिल जाते हैं।

Success story of founder Bikanervala

बीकानेर-कोलकत्ता और मुंबई होते हुए दिल्ली में लगा दिल

बीकानेरवाला की सफलता का पता उनकी समृद्ध विरासत और प्रामाणिक स्वाद प्रदान करने की प्रतिबद्धता से लगाया जा सकता है। बीकानेरवाला के संस्थापक और चेयरमैन केदारनाथ अग्रवाल (काकाजी) ने 1950 में राजस्थान के बीकानेर में अपने ब्रांड की शुरुआत एक छोटी सी मिठाई की दुकान के साथ की थी। काकाजी 1955 में वह राजस्थान के बीकानेर से अपने बड़े भाई सत्यनारायण अग्रवाल के साथ कोलकाता और मुंबई से होते हुए दिल्ली आए थे। उन्होंने कोलकाता और मुंबई में भी अपना व्यापार आगे बढ़ाना चाहा लेकिन वहा पर उन्हें सफ़लता हाथ नहीं लगी

अपने परिवार के साथ केदारनाथ और उनके बड़े भाई सत्यनारायण अग्रवाल अब दिल्ली आ पहुंचे, लेकिन उनके पास दिल्ली में न कोई घर था और न ही कोई दुकान। वें दिल्ली कि किसी एक धर्मशाला में रहें और वहीँ से उन्होंने घूम-घूम कर भुजिया और रसगुल्ले बेचना शुरू किया। दुकान न होने की वजह से काकाजी रसगुल्ले से भरी बाल्टी हाथों में लेकर सिनेमाघरों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर घूम-घूम कर रसगुल्ले बेचा करते थे, जबकि उनके बड़े भाई चाय की स्टाल पर भुजिया बेचते थे।

दिल्ली की गली ने बदली किस्मत

काकाजी बताते हैं कि साल 1956 में उन्हें दिल्ली की परांठे वाली गली में उन्हें पहली बार एक कमरा मिला और फिर सड़क पर एक छोटा स्टाल मिला। यही से उनके बीकानेरी भुजिया की डिमांड बढ़नी शुरू हुई और इनके काम ने गति पकड़ ली। उसके बाद पहली बार 1962 में उन्हें एक दुकान मिली और फिर 1972 में करोल बाग़ में एक दुकान ख़रीदी जो अभी भी चल रही है। 

Success story of founder Bikanervala (1)

अग्रवाल के बेटे और बीकानेरवाला ग्रुप के वर्तमान प्रबंध निदेशक श्याम सुंदर अग्रवाल जब इस व्यापार में शामिल हुए तब करोल बाग़ सहित दिल्ली शहर के अन्य इलाकों में भी दुकानों को खोला गया। ऐसे ही धीरे-धीरे उनके व्यापार का विस्तार होता गया और बीकानेरवाला और बिकानो के देश-विदेश में करीब 150 आउटलेट्स हैं। फ़िलहाल बीकानेरवाला समूह की कुल संपत्ति लगभग 1,300 करोड़ रुपये (178 मिलियन अमेरिकी डॉलर) है।

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नई तकनीक से मिली व्यापार को रफ़्तार

काकाजी के बेटे नवरत्न अगरवाल बताते हैं कि उनके पिताजी के समय काम करने में बहुत अधिक समय लगता था क्योंकि तब तक काम सिर्फ हाथों से किया जाता था। जैसे-जैसे समय बदला तकनीकों का भी विकास हुआ और देश-विदेश से मशीनों का आयत किया गया और उत्पादन को बढ़ाना शुरू किया। उसके बाद आउटलेट्स की फ्रेंचाइजी देना प्रारंभ किया गया। IT सेक्टर के ये दौर ने क्रान्ति का दौर है, व्यापर को अधिक मजबूती मिली जिसमें उत्पादन का ऑनलाइन आर्डर के साथ उनकी होम डिलीवरी करना भी शामिल हैं। इसके उत्पाद संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम सहित विभिन्न देशों में निर्यात किए जा रहे हैं।

बीकानेरवाला सुविधाजनक और खाने के लिए तैयार उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करते हुए, स्वच्छता से पैक किए गए स्नैक्स पेश करने वाले पहले भारतीय खाद्य ब्रांडों में से एक है। इस वैश्विक पहुंच ने न केवल बीकानेरवाला को एक विश्वसनीय भारतीय खाद्य ब्रांड के रूप में स्थापित करने में मदद की है, बल्कि इसके विकास और सफलता में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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