दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त

दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त 2023

दिवाली का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है ज्योतिष शास्त्र में दिवाली पूजा में प्रदोष काल महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दिवाली की रात सुख-समृधि की रात मानी जाती है। इस दिन गणेश भगवान और माँ लक्ष्मी की पूजा करने से वर्ष भर सुख, धन और समृधि की कृपा बनी रहती है। इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर 2023 को है जो दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर लगेगी और अगले दिन दोपहर 2 बजकर 41 मिनट तक रहेगी

दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल में दिवाली पूजा का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में प्रदोषकाल में दिवाली पूजन बहुत महत्वपूर्ण होत्ती है। प्रदोष काल सूर्यास्त के ठीक बाद शाम का समय होता है। लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल को ही माना जाता है। दिवाली के दिन प्रदोष काल का लगभग समय शाम 5 बजकर 11 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक रहने वाला है। इसी बीच घर और व्यापरियों के लिए लक्ष्मी-गणेश पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 40 मिनट से शाम 7 बजकर 36 मिनट तक रहने वाला है वही माँ लक्ष्मी का महानिशीथ मुहूर्त रात 11 बजकर 39 से मध्यरात्रि 12 बजकर 32 मिनट तक है

यह भी पढ़ें : Diwali Muhurat Trading Time 2023 : दिवाली के दिन किस समय होगा मुहूर्त ट्रेडिंग?

यह भी पढ़ें : क्यों आज छोटी दिवाली के दिन होती है यम की पूजा? जानें पूजा का मुहूर्त, दीपदान करें जरूर

दिवाली पूजा के लिए आवश्यक समान

  • लाल या पीले रंग का कपड़ा, लकड़ी की चौकी, आम/अशोक वृक्ष के पत्ते
  • गणेश जी, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और कुबेर देव की मूर्ति या फ़ोटो
  • साबुत चावल, लाल या गुलाबी फूल, विशेषकर कमल के फूल और गुलाब के फूल, पुष्प माला, सिंदूर, कुमकुम, रोली
  • शहद, इत्र, गंगाजल, तेल, शुद्ध घी, कलावा, घर में उपलब्ध अनाज
  • पान का पत्ता, हरी दूब (दूर्वा) और सुपारी, लौंग, इलायची, फल, हरा धनिया,  कमलगट्टा,कौड़ियां, खील-बताशा, मिठाई
  • कलश, मिट्टी के दीपक, रुई की बत्ती, अगरबती, धूप, नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के, नोटों की गड्डी (इच्छानुसार)

दिवाली पूजा का सही मुहूर्त

ऐसे करें दिवाली पूजा

  • सबसे पहले चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी की मूर्ति को गणेशजी की दाईं ओर तथा माता सरस्वती बाईं ओर हो जिनका उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।
  • नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर इसे कलश पर रखें। पानी से भरा कलश वरुण देव का प्रतीक होता है। कलश पर अशोक या आम के पत्तों के साथ एक फूल, चावल के दाने और एक सिक्का जरुर रखें।
  • अन्य सामग्रियों जैसे पान के पत्ते, लौंग, इलायची, सुपारी को मूर्तियों के आगे छोटी-छोटी 9 ढेरियाँ बना कर रखें।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात माता लक्ष्मी की मूर्ति के आगे दो बड़े दीपक रखें, जिनमे एक दीपक घी का और दूसरा तेल का। ध्यान रहें, माता लक्ष्मी के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक और उल्टे हाथ की तरफ तेल का दीपक जरूर रखें जो पूरी रात जलते रहें।
  • अब आप अपने विधि विधान से पूजा करें।

गणेश जी और माँ लक्ष्मी के मन्त्र

  • ॐ गं गणपतये नमः
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम
  • ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
  • ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:
  • लक्ष्मी नारायण नम:

Disclaimer : दी गई उपरोक्त जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, ये पूर्णतया सटीक हैं, इसका हम दावा नहीं करते हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *